Who is Upäsya Deva of Gauòéya Vaiñëavas–
Caitanya Mahäprabhu or Gauräìga Mahäprabhu…?

भक्त – महाराज जी ! उड़ीसा से एक भक्त हैं मुरली कृष्ण दास जी । उन्होंने एक बार प्रश्न किया था । वो जानना चाह रहे हैं कि हम जो गौड़ीय वैष्णव हैं…हमारी उपासना किसकी है- गौरा महाप्रभु की या चैतन्य महाप्रभु की । हालांकि स्वयं भगवान् ही हैं पर हमारे उपास्य गौरा महाप्रभु हैं या चैतन्य महाप्रभु हैं ? कृपया करके प्रश्न के संशय का निवारण करें ।

महाराज जी– ये प्रश्न बहुत अच्छा है । गौड़ीय वैष्णव जो हरे कृष्ण महामन्त्र जप कर रहे हैं, उनका ये प्रश्न होना ही चाहिये कि हमारे उपास्य देव कौन हैं…जो हमारे इष्ट देव हैं, वो हैं कौन ? यही पता नहीं होगा, तो उनकी सेवा कैसे करेंगे…सेवा प्राप्त कैसे होगी ?

देखिये, हम महाप्रभु की जितने भी लीलायें हैं, सबका बहुत सम्मान करते हैं । जब महाप्रभु ने प्रकट जगत् में लीलायें की…प्रकट लीला…उसका भी बहुत सम्मान है । और जो अप्रकट लीला है, उसका भी बहुत सम्मान है ।
और यहाँ पर जैसे महाप्रभु ने प्रकट लीला की…जगाइ-माधाइ का उद्धार किया, सन्यास लिया और जगन्नाथ पुरी में गये, वहाँ रहे…सबका सम्मान है । सब लीला स्थलियों का भी सम्मान है । परन्तु हमें समझाना होगा कि जो गौड़ीय वैष्णव हैं, उनके जो उपास्य देव जो हैं, उनकी जो उपास्य लीला है, वो नित्य नवद्वीप की लीला है । हमारी जो उपासना है, वो नित्य ब्रज और नित्य नवद्वीप की है ।

जो नित्य नवद्वीप की हमारी उपासना है, उसमें महाप्रभु जो हैं, सन्यासी रूप में नहीं हैं । उसमें महाप्रभु गृहस्थ रूप में हैं । जैसे महाप्रभु की जो प्रकट लीला थी… महाप्रभु की एक पत्नी का अन्तर्ध्यान हो गया था और एक पत्नी रही थी उनके साथ । ठीक है न ? लक्ष्मीप्रिया जो थी…प्रथम पत्नी… (का ) अन्तर्ध्यान हो गया था और विष्णुप्रिया…तो ये दोनों में से एक पत्नी थी । और उनके जो पिता थे, वह भी…उनका भी तिरोभाव हो गया था…जगन्नाथ मिश्र जी का । परन्तु जो नित्य नवद्वीप लीला है, उसमें जगन्नाथ मिश्र और शची माता, दोनों हमेशा रहते हैं । उनकी दोनों पत्नियाँ हैं…लक्ष्मीप्रिया, विष्णुप्रिया । वो भी सदैव रहती हैं । और महाप्रभु के बहुत ही सुन्दर घुंघराले लम्बे-लम्बे बाल हैं, बहुत लम्बे, बहुत सुन्दर ।

और यहाँ पर तो महाप्रभु की जो प्रकट लीला थी, उसमें देखा जाता है कि धन का कुछ अभाव होता है । पर जो नित्य नवद्वीप लीला है, उसमें जो महाप्रभु का घर है, वो इतना बड़ा है…वो पुर के समान है…समझ लो, अपने आप में city है वो घर । जैसे मानो President House… राष्ट्रपति भवन । राष्ट्रपति भवन जाओगे, तो gate से तो enter हो जाओगे । उसके बाद तो पता नहीं क्या-क्या है अन्दर ? वैसे ही महाप्रभु का बहुत बड़ा घर है । और जो दीवारें हैं, वो भी सोने की हैं । और सोचो किस स्तर का ऐश्वर्य है महाप्रभु का ! यहाँ पर नहीं था । यहाँ पर तो उनको…ब्राह्मण थे न । दक्षिणा के रूप से याजन होता था…भगवान् का याजन दक्षिणा रूप से होता था…प्रकट लीला है । पर हमारी प्रकट लीला की उपासना नहीं है । हमारी अप्रकट लीला की उपासना है ।

और महाप्रभु के चारों जो…घर इतना बड़ा है कि चारों दिशाओं से roads जाती हैं, वो सीधा गंगा पर जाती हैं । मतलब कितना ऐश्वर्य है कि आप अभी कल्पना भी नहीं कर सकते !

हमारी नित्य लीला की उपासना है, महाप्रभु की । और यहाँ पर महाप्रभु ने shaved head किया था, वहाँ पर हमेशा लम्बे-लम्बे सुन्दर-सुन्दर घुंघराले बाल होते हैं । और वहाँ गृहस्थ हैं, यहाँ सन्यासी थे । और वहाँ, वे नित्य किशोर रूप में होते हैं, किशोर । अति कमनीय, अति सुन्दर, किशोर रूप में । और अद्वैताचार्य, जो यहाँ पर दाढ़ी लगायी जाती है कई लोगों द्वारा, जो कि उचित नहीं है । अद्वैताचार्य भी किशोर रूप में हैं ।

ये हमारे जो आचार्य हैं, इन्होंने अष्टकं लिखे हैं, नित्यानन्दाष्टकं, अद्वैताचार्याष्टकं, शचीसुताष्टकं इत्यादि, इसमें वर्णन आता है कि ये तीनों प्रभु किशोर रूप में हैं । तीनों प्रभु…अब हम तो तीनों प्रभु को बोल रहे हैं.. आप लोग सब घर के लोग हो, समझ जाओगे । और जो नये लोग हैं…। हम यह कहना चाह रहे हैं कि जो गौरा महाप्रभु हैं, जो नित्यानन्द प्रभु हैं, जो अद्वैताचार्य जी हैं, इनको तीन प्रभु बोला जाता है । ये तीनों प्रभु जो हैं, ये किशोर रूप में हैं । अद्वैताचार्य बूढ़े नहीं हैं । किशोर रूप में हैं । बहुत सुन्दर हैं ।

भगवान् सुन्दर नहीं होंगे, तो क्या होंगे ? भगवान् ही यदि किशोर नहीं होंगे, तो और कौन होंगे ?
पिताजी हैं महाप्रभु के, माताजी भी हैं, दो पत्नी भी हैं, सन्तान कोई नहीं है ।