Radharani Rupamrita (Hindi)
प्रबोधानंद सरस्वती कहते हैं- हरि के सभी रूप आंन्दमय हैं, हरि के सभी आनंद भी, सभी धाम भी आंन्दमय हैं, और हरि की जो कांतायें हैं- लक्ष्मी इत्यादि वो भी आनंदमय हैं...लेकिन, मेरा मन तो केवल उन ठाकुर के पीछे जाता है, जो केवल..., किसी भी वैकुंठ धाम में नही होता | क्या? कि वे ठाकुरानी के पीछे भागते हैं |