Mätäjé’s name Devi Däsé?
Or? In Mätäjé’s name Devi Däsé???

भक्त− महाराज जी ! Iskcon दिल्ली से श्यामशरण दास जी हैं । उनका प्रश्न है कि जब Iskcon में स्त्रियों को दीक्षा दी जाती है, तो उनके नाम के आगे देवी दासी लगाया जाता है । जबकि उन्होंने यह देखा है कि जो अन्य सम्प्रदाय हैं, या अन्य जगह पर देवी दासी नहीं लगाया जाता, खाली दासी होता है । वह जानना चाह रहे हैं, जो देवी दासी लगाया जाता है, दिया जाता है, यह कितना सही है ?

महाराज जी− आपने यह प्रश्न पूछा है कि Iskcon में स्त्रियों के नाम के आगे देवी दासी बोला जाता है, तो क्या यह ठीक है ?

देखिये, हम आपको फिर वही बात कहेंगे कि यदि आपको वास्तव में सत्य जानना है, तो एक बार स्वयं अपनी आखों से जाकर देखें । नवद्वीप चले जायें, जगन्नाथ पुरी चले जायें, वृन्दावन चले जायें, राधाकुण्ड चले जायें, जहाँ गौड़ीय वैष्णवों के पुराने-पुराने आश्रम हैं, आप जाकर देखें कि स्त्रियों के क्या नाम होते हैं ? इससे सरल उत्तर हम आपकों क्या देंगे ? आप स्वयं जाकर देखें कि क्या नाम होते हैं । आप जाकर आश्चर्यचकित हो जायेंगे, आप जाकर नाम देखेंगे कि किसी भी स्त्री का नाम ‘देवी दासी’ नहीं होता, जैसे कि विशाखा देवी दासी, ललिता देवी दासी, इन्दुलेखा देवी दासी… ऐसा कोई नाम नहीं होता । सबका नाम क्या होता है ? हमारी भी कोई गुरु बहन हो, तो उनका क्या नाम है ? ललिता दासी, विशाखा दासी, ‘देवी दासी’ नहीं होता ।

और हमारे गुरुदेव श्रील अनन्तदास बाबाजी महाराज हैं, जिनको पिछली पूरी century का सबसे प्रकाण्ड पण्डित महात्मा बोला जाता है । जितने भी गौड़ीय वैष्णव हैं, सभी उनके ग्रन्थ पढ़ते हैं । तो हमारे यहाँ पर उन्होंने एक लड़की को नाम दिया था । उसका नाम ही महाराज जी ने दिया− देवी दासी । राधारानी का एक नाम है− देवी; तो उनकी दासी । और राधारानी का ‘देवी’ नाम कई पुराणों में है, रूप गोस्वामी ने भी बताया है और अनेक जगह ‘देवी’ से राधारानी को सम्बोधित किया जाता है । तो महाराज जी ने नाम ही उस लड़की को दिया− देवी दासी । ललिता देवी दासी नहीं, फिर तो नाम हो गया उसका− ललिता राधा दासी ! या इन्दुलेखा देवी दासी नहीं, फिर तो उसका नाम हो गया− इन्दुलेखा राधा दासी ! यह क्या नाम हुआ ? देवी दासी नाम किसी स्त्री को नहीं दिया जाता, दासी बोला जाता है । दास, दासी ।
तो अगर देवी दासी बोला जा रहा है स्त्री को, तो पुरुषों का नाम भी होना चाहिये− कृष्ण मुरारी देव दास या माधव देव दास, केशव देव दास ! नहीं !

माधव दास, केशव दास− ये नाम हैं । जब वे माधव दास, केशव दास हैं, तो ललिता दासी, विशाखा दासी क्यों नही हैं ?
सारा गौड़ीय सम्प्रदाय एक प्रकार से चलता है, Iskcon, Gaudiya Math का राग अलग ही निकलता है । तो आप खुद सोच सकते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है ।

Blind following से कुछ नहीं मिलने वाला । Basic चीज़ों में जाइये । गौड़ीय सम्प्रदाय में न किसी का कोई प्रणाम मन्त्र है, न कोई देवी दासी है ।

और षड्गोस्वामी के समय से‌ यह सिद्ध प्रणाली की परम्परा चल रही है । गोपालभट्ट‌ गोस्वामी जी ने भी श्रीनिवास आचार्य को सिद्ध प्रणाली दी । आप जाकर देखें− ब्रज में, नवद्वीप‌ में, सब जगह सिद्ध प्रणाली दे रहे हैं; और भोग कैसे लगा रहे हैं ।

और देवी दासी कुछ नहीं होता ।
सोचिये, नाम में ही इतना काल्पनिक तत्त्व डाला हुआ है । और इतने blind followers हैं कि उनको देखते भी नहीं हैं । देखें तो सही कि कैसे नाम होते है कहीं पर !

और किसी भी सम्प्रदाय में चले जाइये, नाम दास या दासी करके ही दिया जाता है । और कहीं पर भी देवी दासी नहीं होता ।

जैसे Iskcon में हमारे यहाँ एक भक्त हैं, उनको दीक्षा का नाम दिया गया था कृष्ण आराध्य देवी दासी । परन्तु जब उन्होंने Iskcon छोड़ा, यहाँ बाबाजी महाराज का‌ आश्रय लिया, तो बाबाजी ने फिर उनको नाम दिया− कृष्ण आराध्य दासी । बाबाजी महाराज ने ‘देवी’ शब्द हटा दिया था । तो आप खुद सोच सकते हैं कि नाम वही है− कृष्ण आराध्य दासी, न कि कृष्ण आराध्य देवी दासी ।

बाबाजी महाराज ने उनका नाम कर दिया था− कृष्ण आराध्य दासी । तो कृष्ण आराध्य देवी दासी जो है, वह नाम गलत है । कृष्ण आराध्य दासी तो ठीक है ! देवी दासी शब्द गलत है । किसी भी परम्परा में देवी दासी शब्द प्रयोग नहीं किया जाता ।