Are you in Çikñä Paramparä of Bhaktivinoda Öhäkura,
Gaura Kiçora Däsa Bäbäjé Mahäräja,
Jagannätha Däsa Bäbäjé Mahäräja ?

भक्त− उन्होंने बताया था कि हमारी तो शिक्षा परम्परा है, दीक्षा परम्परा नहीं है, इसलिये हमने अलग-अलग आचार्यों को अलग परिवारों से लिया है ।

महाराज जी− आपने बोला की हमारी शिक्षा परम्परा है, और दीक्षा परम्परा नहीं है, तो हमने अलग-अलग आचार्यों को एक जगह रख दिया ? देखिये परम्परायें या तो होती हैं या नहीं होती । ये कोई made up नहीं है कि हमें कोई Superstars अच्छे लग गये, सबको इकट्ठा रख लिया हमने…बोले कि ये मेरी परम्परा है…ऐसा नहीं होता । माना बहुत बड़े सिद्ध हैं जगन्नाथदास बाबाजी, गौरकिशोरदास बाबाजी, भक्तिविनोद ठाकुर । पर वो परम्परा नहीं होती । Paramparä is not a collection of superstars. परम्परा या अद्वैत परिवार की है या नित्यानन्द परिवार की । आपकी कौन सी है, यह बताओ ? ये नहीं…हमारी ये है, हमारी ये नहीं होती । परम्परा या तो होती है या नहीं होती, पहले तो यह समझो । परम्परा कोई बना नहीं सकता । आपको दूसरे…आपको आपकी भाषा में समझायें । देखो नित्य नवद्वीप है न, वहाँ गौरकिशोर दास बाबाजी हैं, वे अद्वैत परिवार की परम्परा में हैं । कोई चाह कर भी उनसे जुड़ नहीं सकता अन्य परिवार का । वो अपना परितुष्ट हैं वहाँ पर अद्वैताचार्य की सेवा करके । अब जो जगन्नाथदास बाबाजी हैं, वे अलग परिवार से हैं । वे अपने परिवार के साथ रहकर सेवा कर रहे हैं महाप्रभु की, नित्यानन्द की, अद्वैताचार्य की । तो बनाने का तो प्रभु तो हैं, आप थोड़ा न डाल दोगे…नहीं हमारी एक…ये परम्परा है । आप कौन हो ? आप क्या हो ? परम्परा eternally exist करती है । अरबों साल तक ये ऐसे ही serve होगा । अद्वैताचार्य की परम्परा में ही गौरकिशोर दास बाबा serve करेंगे । अरबों-खरबों साल तक…। इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता । कोई परम्परा नहीं बनायी जा सकती कभी भी ।

अब आप कहते हो हमारी शिक्षा परम्परा है, दीक्षा परम्परा नहीं है, गौरकिशोर दास बाबाजी, भक्तिविनोद ठाकुर जो हैं । शिक्षा परम्परा में तो follow करना चाहिये शिक्षा को ।

गौरकिशोर दास बाबाजी को, भक्तिविनोद ठाकुर जी को, आपने परम्परा में रखा हुआ है इनको…रखा हुआ है न ? भक्तिविनोद ठाकुर, गौरकिशोर दास बाबाजी, और जगन्नाथदास बाबाजी महाराज…ये आपने परम्परा में रखा है… आप कहते हो आपकी परम्परा मतलब…आप इनको follow करते ही होंगे न ? हम आपसे सरल प्रश्न पूछते हैं ? क्या अाप वही मन्त्र करते हो जो ये करते थे ? नहीं, हम कुछ अलग मन्त्र करते हैं । हम आपको बता रहे हैं…हम वही मन्त्र करते हैं जो ये करते थे । तो follow कौन कर रहा है…आप या हम ? हम follow कर रहे हैं ।

अच्छा क्या आप वही तिलक लगाते हो जो वे लगाते थे ? नहीं । हम तो वही तिलक लगाते हैं जो वे लगाते थे । Follow कौन कर रहा है…आप या हम ? हम follow कर रहे हैं ।

अच्छा क्या ये मंगला आरती जो वो करते थे…आरती जो वो करते थे ठाकुर जी की, क्या आप वैसे ही करते हो जैसे ये करते थे ? नहीं । आप तीनों प्रभु की करते हो आरती ? उसके बाद गदाधर श्रीवास को दिखाते हो ? नहीं न ! हम तो वैसे ही करते हैं । तो follow आप कर रहे हो या हम कर रहे हैं इनको ? गौरकिशोर बाबाजी को follow कौन कर रहा है ? भक्तिविनोद ठाकुर को follow कौन कर रहा है ? जगन्नाथदास बाबाजी को follow कौन कर रहा है ? हम कर रहे हैं या आप कर रहे हैं ? हम कर रहे हैं ।

अच्छा, ये कपड़े डालते हैं सफेद । हम भी सफेद डालते हैं । आप लाल डालते हो । तो इनको follow कौन कर रहा है ? आप या हम ? हम follow कर रहे हैं । हम तो सफेद डालते हैं ।

अच्छा, ये लोग काला तिलक लगाते थे । यह कौन सा तिलक है ? यह भी काला है । आपका कौन सा है ? पीला । तो आप इनको follow कर रहे हैं या हम कर रहे हैं ? यह भी हम ही follow कर रहे हैं ।

अच्छा भोग ये लगाते थे तीनों प्रभु को और ब्रज में पहले कृष्ण को, फिर राधा को, फिर मञ्जरियों को । हम भी ऐसे ही करते हैं । क्या आप भी ऐसे ही करते हो ? नहीं । आप यह भी follow नहीं करते ? नहीं । हम यह भी follow करते हैं ।

सारी बातें तो हम follow कर रहे हैं उनकी । आप एक भी follow नहीं कर रहे । हम कहते हैं…हमारी परम्परा में भी नहीं हैं । आप कहते हो हमारी परम्परा में हैं । यह कौन सी परम्परा का followership है ?
भाई ! Follow का मतलब होता है कि एक चीज़ भी मेरी ऐसी नहीं होगी जो उनकी की हुई बात को काटूँगा । वो कभी भी गायत्री नहीं करते थे− ‘ॐ भूर्भुव: स्व:….’ आप करते हो ? हाँ, करते हो । हम तो नहीं करते । तो follow कौन कर रहा है उनको…आप या हम ? गायत्री के मामले में भी हम follow कर रहे हैं उनको ।

अरे ! वो हमारी परम्परा में नहीं हैं, तब भी हम follow करते हैं…हमारा तो…हम तो एक ही जाति के हैं सब लोग । हम तो एक पथ follow करेंगे ही सही । क्योंकि हम वही follow कर रहे हैं जो सनातन काल से follow हो रहा है । हमारा कोई invent है ही नहीं कुछ । न हमारा जनेऊ है । कोई जनेऊ डालते थे जगन्नाथदास बाबाजी या गौरकिशोर दास बाबाजी ? नहीं । हम डालते हैं ? नहीं । तो आप क्यों डालते हो ?
वो अभिषेक राधाष्टमी पर केवल राधारानी का करते हैं । आप किनका करते हो ? राधा कृष्ण दोनों का करते हो । आप follow कर रहे हो या हम कर रहे हैं follow ? जन्माष्टमी पर वो केवल कृष्ण का अभिषेक करते थे, तीनों का नाम…वो मतलब तीनों…गौरकिशोर दास बाबाजी महाराज, जगन्नाथदास बाबाजी महाराज, भक्तिविनोद ठाकुर…ये तीनों जन्माष्टमी पर केवल कृष्ण का अभिषेक करते थे । इनकी जो परम्परा है…इनके पुत्र ललिता प्रसाद ठाकुर, ये भी केवल कृष्ण का अभिषेक करते थे । हम भी वही करते हैं ।

आप भी यही करते हो ? नहीं । आप दोनों का करते हो । तो follow कौन कर रहा है ? आप या हम ? हम कर रहे हैं ।

वस्त्र जो हैं, जो गुरु द्वारा प्रदत्त हैं…। हमारे गुरु ने हमें सफेद वस्त्र दिये । तो हम सफेद डालेंगे । आपके किसी गुरु ने आपको लाल वस्त्र दिये ? भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर से कौन पूछे कि आपको लाल वस्त्र किसने दिये ? तिलक आपको पीला तिलक किसने दिया ? जनेऊ आपको किसने दिया ? जन्माष्टमी पर किसने कहा कि राधा कृष्ण का अभिषेक कर दो आप ? आपको किसने कहा कि राधाष्टमी पर राधा कृष्ण का अभिषेक कर दो ? नित्यानन्द त्रयोदशी पर दोनों का अभिषेक कर दो…किसने कहा ? किसने कहा कि पीला तिलक लगाना है ? काला खराब है ? हमारे यहाँ सिर्फ नित्य नवद्वीप और नित्य ब्रज की उपासना है… किसने कहा कि सीताराम-लक्ष्मण-हनुमान के विग्रह को बीच में लाओ, नृसिंह भगवान् के विग्रह को बीच में ले आओ…किसने कहा ? आपके गुरु ने तो नहीं किया ? उन्होंने आपको कहा यह करने के लिये ? आप क्यों कर रहे हो ? हम तो नहीं करते । तो हम इनको follow कर रहे हैं या आप कर रहे हो ?
Follow करने का मतलब है…पहले जानना…। तभी तो हमने पूछा… तुमने कहा हम प्रभुपाद को जानते हैं केवल । अरे ! प्रभुपाद तो बाद में…वो कर क्या रहे हैं, यह तो जान लो । अच्छा, तुम प्रभुपाद को जानते हो…भक्तिविनोद ठाकुर को भी तो follow करते होंगे ? एक बात भी तो आप उनकी follow नहीं करते । एक बात…एक बात…।

जैसे फुमन के लिये लगाया हुआ है परम्परा को अपने Altar में…showcase…showcase परम्परा बनाया हुआ है । नाम की परम्परा है, नाम के लिये डाला हुआ है ।

यह कैसी followership है कि न हम भोग उनकी तरह लगाते हैं, न हम आरती उनकी तरह करते हैं, न वस्त्र उनकी तरह करते हैं, न तिलक उनकी तरह लगाते हैं, न गुरुप्रदत्त तिलक, न गुरुप्रदत्त मन्त्र करते हैं, न वो जो पञ्चतत्त्व मन्त्र करते हैं, वो भी अलग था, जो आप करते हो, वो भी अलग है । एक नयी बात और सुन लो । हम वही करते हैं उनके वाला । जो ‘श्रीकृष्णचैतन्य प्रभु नित्यानन्द…’ है, ये जगन्नाथदास बाबाजी ये नहीं करते थे, गौरकिशोर दास बाबाजी ये नहीं करते थे, और भक्तिविनोद ठाकुर भी नहीं करते थे । वो क्या करते थे ‘श्रीगौरा नित्यानन्द श्रीअद्वैतचन्द्र गदाधर श्रीवासादि गौरभक्तवृन्द ।’ ये सारी बातें हमने आपको शिक्षा की तो बतायी हैं । ये हमने कोई private बातें…अपने घर की थोड़े न बतायी हैं आपको ? ये शिक्षा हैं उनकी सारी । शिक्षा परम्परा में तो कोई व्यक्ति बात न माने, तो शिक्षा परम्परा में ही नहीं है । आप जब…एक बात नहीं मानते आप, अापकी शिक्षा परम्परा भी कहाँ से सिद्ध हो गयी ? वो भी सिद्ध नहीं है । हम हैं शिक्षा परम्परा में इनकी । हमारी दीक्षा परम्परा भी अटूट, शिक्षा परम्परा भी अटूट । ५०० वर्ष से दोनों same चल रही हैं । अरे भाई ! हम १५ साल Iskcon में रहे हैं । १५ साल यहाँ रह रहे हैं । हम दोनों मार्ग को ऐसे जानते हैं जैसे लोग अपने हाथ को जानते हैं । सुस्पष्ट…ये लकीर ऐसे है और ये लकीरें ऐसे हैं ।

देखो, ये गौड़ीय वैष्णव जो सम्प्रदाय है, बड़ा गूढ़ गम्भीर सम्प्रदाय है, किन्तु-परन्तु के बिना…। वास्तव में जो अटूट परम्परा है, जो ५०० साल की है, जो लाल…पीला colour, पीला तिलक किसी अटूट परम्परा में नहीं होता…पहले तो यह समझ लें । पीला तिलक कोई अटूट परम्परा में नहीं होता । ४५० साल से…प्रारम्भ के ४०० साल गौड़ीय वैष्णव १००/१०० Devotees काला तिलक लगाते थे । १००/१०० । अभी भी वही है…सिर्फ Iskcon and Gaudiya Math को छोड़ कर । अभी भी वही काला तिलक ही लगाते हैं । तो अगर आप बिना अटूट परम्परा से जुड़े वो प्राप्त करना चाहते हो जो जगन्नाथदास बाबा ने प्राप्त किया, जो भक्तिविनोद ठाकुर ने प्राप्त किया या गौरकिशोर दास बाबा ने, वो प्राप्त हो ही नहीं सकता । उनकी कोई बात ही follow नहीं कर रहे । न तिलक उनका follow, न मन्त्र उनके follow, न भोग उनका follow, न उनके ठाकुर को follow, न उनकी आरती follow, न प्रसाद…कुछ भी follow नहीं कर रहे हो उनका, और बोलते हो शिक्षा परम्परा । न कोई दीक्षा परम्परा, न कोई शिक्षा…मनमाना आचरण और सिद्धि ??