श्रीगौरकिशोर का मंगल आरती पद
मंगल आरती गौर किशोर । मंगल नित्यानन्द जोर हि जोर ॥
मंगल श्रीअद्वैत भक्तहिँ संगे । मंगल गाओत प्रेम तरंगे ॥
मंगल बाजत खोल करताल । मंगल हरिदास नाचत भाल ॥
मंगल धूपदीप लइया स्वरूप । मंगल आरति करे अपरूप ॥
मंगल गदाधर हेरि पहुँ हास । मंगल गाओत दीन कृष्णदास ॥
श्रीयुगलकिशोर का मंगल आरती पद
मंगल आरती युगल किशोर । मंगल सखीगण जोरहिँ जोर ॥
रतन प्रदीप करु टलमल थोर । झलकत विधुमुख श्याम सुगोर ॥
ललिता विशाखा आदि प्रेमे आगोर । करि निरमञ्छन दोँहे दोँहा भोर ॥
वृन्दावन कुञ्जहिँ भुवन उजोर । मूरति मनोहर युगल किशोर ॥
गाओत शुक पिक नाचत मयूर । चाँद उपेखि मुख निरखे चकोर ॥
बाजत विविध यन्त्र घनघोर । श्यामानन्द आनन्दे बाजाय जय तोर ॥
श्रीश्रीगौरांग की सन्ध्या आरती
भालि गोराचाँदेर आरती बनि । बाजे संकीर्त्तने मधुर रस ध्वनि ॥
शंखबाजे घण्टाबाजे बाजे करताल । मधुर मृदंग बाजे शुनिते रसाल ॥
विविध कुसुमे-बनि गले वनमाला । शतकोटि चन्द्र जिनि वदन उजाला ॥
ब्रह्मा आदि देव जाँको कर जोड़ करे । सहस्त्रवदने फणी शिरे छत्र धरे ॥
शिव शुक नारद व्यास विसारे । नाहि परात्पर भाव-विभोरे ॥
श्रीनिवास हरिदास मंगल गाओये । नरहरि गदाधर चामर ढुलाओये ॥
वीरवल्लभ दास श्रीगौर-चरणे आश । जग भरि रहल गोरार महिमा प्रकाश ॥
श्रीश्रीराधारानी की सन्ध्या आरती
जय जय राधेजी को शरण तोँहारी । एैछन आरती जाङ बलिहारि ॥
पाट पटाम्बर ओढ़े नील शाड़ी । सीथिँक सिन्दूर जाङ बलिहारि ॥
वेश बनाओल प्रिय सहचरी । रतन-सिंहासने बैठल गौरी ॥
रतने जड़ित मणि माणिक मोति । झलमल आभरण प्रति अंग ज्योति ॥
चूया चन्दन गन्ध देय व्रजबाला । वृषभानु राजनन्दिनी वदन उजाला ॥
चौदिके सखीगण देइ करतालि । आरती करतहिँ ललिता पियारी ॥
नव नव व्रजवधु मंगल गाओये । प्रियनर्म्म सखिगणे चामर ढुलाओये ॥
राधापद-पंकज भकतहिँ आशा । दास मनोहर करत भरसा ॥
श्रीश्रीगोपालदेव की सन्ध्या आरती
हरत सकल, सन्ताप जनम को, मिटत तलप यम-काल की ।
आरती किये जय जय श्रीमदनगोपाल की ॥
गोघृत-रचित, कर्पूर-बाति, झलकत कांचन थाल की ।
चन्द्र कोटि कोटि, भानु कोटि छवि, मुखशोभा नन्दलाल की ॥
चरण-कमल’पर, नूपुर बाजे, उरे दोले वैजयन्ती-माल की ।
मयूर-मुकुट, पीताम्बर शोभे, बाजत वेणु रसाल की ॥
सुन्दर लोल, कपोलन किये छवि, निरखत मदनगोपाल की ।
सुर-नर-मुनिगण, करतहिँ आरती, भकत-वत्सल प्रतिपाल की ॥
बाजे घण्टा ताल, मृदंग झाँजरि, अंजलि कुसुम गुलाल की ।
हुँ हुँ बोलि बोलि, रघुनाथ दास-गोस्वामी, मोहन गोकुल-लाल की ॥
आरती किये जय जय श्रीमदनगोपाल की ।
मदनगोपाल जय जय यशोदा-दुलाल की ।
यशोदा-दुलाल जय जय नन्द-दुलाल की ।
नन्द-दुलाल जय जय राधा-रमण लाल की ।
राधा-रमण लाल जय जय राधा-गोविन्द लाल की ।
राधा-गोविन्द लाल जय जय राधा-कान्त लाल की ।
राधा-कान्त लाल जय जय गोविन्द-गोपाल की ।
गोविन्द-गोपाल जय जय गिरिधारीलाल की ।
गिरिधारीलाल जय जय गौर-गोपाल की ।
गौर-गोपाल जय जय शचीर दुलाल की ।
शचीर दुलाल जय जय निताइ दयाल की ।
निताइ दयाल जय जय अद्वैत दयाल की ।
सीता अद्वैत दयाल जय जय गदाधर लाल की ।
गदाधर लाल जय जय श्रीवास दयाल की ।
श्रीवास दयाल जय जय (गौर) भक्तवृन्द लाल की ।
(गौर) भक्तवृन्द लाल जय जय श्रीगुरु दयाल की ।
परम करुण प्रेमदाता श्रीगुरु दयाल की ।
नाम दिलेन प्रेम दिलेन श्रीगुरु दयाल की ।
आरती किये जय जय मदनगोपाल की ॥
श्रीश्रीतुलसीदेवी की सन्ध्या आरती
नमो नमः तुलसी महाराणि ! वृन्देजी महाराणि ! नमो नमः ॥
नमो रे नमो रे मइया नमो नारायणि, कृष्णभक्ति प्रदायिनी, नमो नमः ॥
जाँको दरशे, परशे अघ नाशइ, महिमा वेद-पुराणे बाखानि ।
जाँको पत्र, मंजरी कोमल, श्रीपति-चरण-कमले लपटानि ।
(राधापति चरणकमले लपटानि) नमो नमः ॥
धन्य तुलसी, पूरण तप किये, श्रीशालग्राम की महापाटराणि !
धूप दीप, नैवेद्य आरती, फुलना किये वरखा वरखानि ॥
छापान्न भोग, छत्रिश व्यंजन, बिना तुलसी प्रभु एक नाहि मानि ॥
शिव सनकादि, आउर ब्रह्मादिक, ढुरत फिरत महामुनि ज्ञानी, तव महिमा बाखानि ।
चन्द्रासखी मझ्या, तेरी यश गाओये, भकति दान दिजीये महाराणि ॥
नमो नमः तुलसी ! कृष्ण-प्रेयसि !
व्रजे राधाकृष्ण-सेवा पाबो एइ अभिलाषी (नमो नमः) ॥
जे तोमार शरण लय, तार वांछा पूर्ण हय
कृपा करि करो तारे वृन्दावन-वासी (नमो नमः) ।
एइ निवेदन धरो, सखीर अनुगत करो
सेवा अधिकार दिये करो निज दासी (नमो नमः) ॥
मोर मने एइ अभिलाष विलास-कुंजे दियो वास
नयने हेरिबो सदा युगल-रूपराशि (नमो नमः) ॥
दीन कृष्णदासे कय एइ जेनो मोर हय
श्रीराधागोविन्द-प्रेमे सदा जेनो भासि (नमो नमः) ॥